Copulative Compound | द्वन्द समास

हिन्दी व्याकरण : द्वन्द समास | Copulative Compound



समास के भेद

समास के मुख्य सात भेद है:-

दो शब्द आपस में मिलकर एक समस्त पद की रचना करते हैं। जैसे-राज+पुत्र = राजपुत्र, छोटे+बड़े = छोटे-बड़े आदि समास छ: होते हैं:

  • 1. अव्ययीभाव समास | Adverbial Compound
  • 2. तत्पुरूष समास | Determinative Compound
  • 3. कर्मधारय समास | Appositional Compound
  • 4. द्विगु समास | Numeral Compound
  • 5. द्वंद्व समास | Copulative Compound
  • 6. बहुव्रीहि समास | Attributive Compound
  • 7. नञ समास | Nay Samaas

पदों की प्रधानता के आधार पर समास का वर्गीकरण

  • अव्ययीभाव समास में — पूर्वपद प्रधान होता है।
  • तत्पुरूष, कर्मधारय व द्विगु समास में — उत्तरपद प्रधान होता है।
  • द्वंद्व समास में — दोनों पद प्रधान होते हैं।
  • बहुव्रीहि समास में — दोनों ही पद अप्रधान होते हैं। ( अर्थात इसमें कोई तीसरा अर्थ प्रधान होता है )

5. द्वंद्व समास की पहचान

द्वंद्व समास की पहचान :- दोनों पदों के बीच प्रायः योजक चिह्न | Hyphen (-) का प्रयोग होता है। द्वन्द्व समास में सभी पद प्रधान होते है। द्वन्द्व और तत्पुरुष से बने पदों का लिंग अन्तिम शब्द के अनुसार होता है।

द्वन्द्व समास के भेद

द्वन्द्व समास के तीन भेद है :-

  • (i). इतरेतर द्वन्द्व
  • (ii). समाहार द्वन्द्व
  • (iii). वैकल्पिक द्वन्द्व

(i). इतरेतर द्वन्द्व

वह द्वन्द्व, जिसमें 'और' से सभी पद जुड़े हुए हो और पृथक् अस्तित्व रखते हों, 'इतरेतर द्वन्द्व' कहलता है।
इतरेतर द्वन्द्व समास से बने पद हमेशा बहुवचन में प्रयुक्त होते है; क्योंकि वे दो या दो से अधिक पदों के मेल से बने होते है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. माँ और बाप =माँ-बाप।
उदाहरण : 2. बेटा और बेटी =बेटा-बेटी इत्यादि।।
उदाहरण : 3. राम और कृष्ण =राम-कृष्ण।
उदाहरण : 4. ऋषि और मुनि =ऋषि-मुनि।
उदाहरण : 5. गाय और बैल =गाय-बैल।
उदाहरण : 6. भाई और बहन =भाई-बहन।

यहाँ ध्यान रखना चाहिए कि इतरेतर द्वन्द्व में दोनों पद न केवल प्रधान होते है, बल्कि अपना अलग-अलग अस्तित्व भी रखते है।

(ii). समाहार द्वन्द्व

समाहार का अर्थ है समष्टि या समूह। जब द्वन्द्व समास के दोनों पद और समुच्चयबोधक से जुड़े होने पर भी पृथक-पृथक अस्तित्व न रखें, बल्कि समूह का बोध करायें, तब वह समाहार द्वन्द्व कहलाता है।
समाहार द्वन्द्व में दोनों पदों के अतिरिक्त अन्य पद भी छिपे रहते है और अपने अर्थ का बोध अप्रत्यक्ष रूप से कराते है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. दालरोटी=दाल और रोटी (अर्थात भोजन के सभी मुख्य पदार्थ)।
उदाहरण : 2. हाथपाँव =हाथ और पाँव (अर्थात हाथ और पाँव तथा शरीर के दूसरे अंग भी )।
उदाहरण : 3. आहारनिद्रा =आहार और निद्रा (केवल आहार और निद्रा ही नहीं, बल्कि इसी तरह की और बातें भी)।

इसी तरह नोन-तेल, कुरता-टोपी, साँप-बिच्छू, खाना-पीना इत्यादि।
कभी-कभी विपरीत अर्थवाले या सदा विरोध रखनेवाले पदों का भी योग हो जाता है।
उदाहरण जैसे :-
चढ़ा-ऊपरी, लेन-देन, आगा-पीछा, चूहा-बिल्ली इत्यादि।

जब दो विशेषण-पदों का संज्ञा के अर्थ में समास हो, तो समाहार द्वन्द्व होता है। उदाहरण जैसे :-
लंगड़ा-लूला, भूखा-प्यास, अन्धा-बहरा इत्यादि।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. भूखे-प्यासे को निराश नहीं करना चाहिए ।
उदाहरण : 2. इस गाँव में बहुत-से अन्धे-बहरे है।
उदाहरण : 3. लँगड़े-लूले यह काम नहीं कर सकते ।

द्रष्टव्य :- यहाँ यह ध्यान रखना चाहिए कि जब दोनों पद विशेषण हों और विशेषण के ही अर्थ में आयें तब वहाँ द्वन्द्व समास नहीं होता, वहाँ कर्मधारय समास हो जाता है। उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. भूखा-प्यासा लड़का सो गया।
उदाहरण : 2. इस गाँव में बहुत-से लोग अन्धे-बहरे हैं।
उदाहरण : 3. लँगड़ा-लूला आदमी यह काम नहीं कर सकता ।

इन प्रयोगों में 'लँगड़ा-लूला', 'भूखा-प्यासा' और 'अन्धा-बहरा' द्वन्द्व समास नहीं हैं।

(iii). वैकल्पिक द्वन्द्व

जिस द्वन्द्व समास में दो पदों के बीच 'या', 'अथवा' आदि विकल्पसूचक अव्यय छिपे हों, उसे वैकल्पिक द्वन्द्व कहते है। इस समास में विकल्प सूचक समुच्चयबोधक अव्यय 'वा', 'या', 'अथवा' का प्रयोग होता है, जिसका समास करने पर लोप हो जाता है। उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. सत्य या असत्य= सत्यासत्य
उदाहरण : 2. छोटा या बड़ा= छोटा-बड़ा
उदाहरण : 3. धर्म या अधर्म= धर्माधर्म




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