वाक्य के अनिवार्य तत्व
वाक्य में निम्नलिखित छ तत्व अनिवार्य है-
- (1). सार्थकता
- (2). योग्यता
- (3). आकांक्षा
- (4). निकटता
- (5). क्रम
- (6). अन्वय
(1) सार्थकता
सार्थकता वाक्य का प्रमुख गुण है। इसके लिए आवश्यक है कि वाक्य में सार्थक शब्दों का ही प्रयोग हो, तभी वाक्य भावाभिव्यक्ति के लिए सक्षम होगा।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. राम रोटी पीता है।
यहाँ 'रोटी पीना' सार्थकता का बोध नहीं कराता, क्योंकि रोटी खाई जाती है। सार्थकता की दृष्टि से यह वाक्य अशुद्ध माना जाएगा।
सार्थकता की दृष्टि से सही वाक्य होगा- राम रोटी खाता है।
उदाहरण : 2. मोहन पानी खाता है।
इस वाक्य में ‘पानी खाना ‘ सार्थकता का बोध नहीं कराता. सार्थकता की दृष्टि से यह वाक्य अशुद्ध माना जाएगा।
इस वाक्य को पढ़ते ही पाठक के मस्तिष्क में वाक्य की सार्थकता उपलब्ध हो जाती है। कहने का आशय है कि वाक्य का यह तत्त्व रचना की दृष्टि से अनिवार्य है। इसके अभाव में अर्थ का अनर्थ सम्भव है।
(2). योग्यता
किसी भी वाक्य में प्रसंग के अनुकूल भावों का बोध कराने वाली योग्यता या क्षमता होनी चाहिए। इसके अभाव में वाक्य अशुद्ध हो जाता है।
वाक्य में सार्थक शब्दों के भाषानुकूल क्रमबद्ध होने के साथ-साथ उसमें योग्यता अनिवार्य तत्त्व है। प्रसंग के अनुकूल वाक्य में भावों का बोध कराने वाली योग्यता या क्षमता होनी चाहिए। इसके आभाव में वाक्य अशुद्ध हो जाता है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. हिरण उड़ता है।
ययहाँ पर हिरण और उड़ने की परम्पर योग्यता नहीं है, अतः यह वाक्य अशुद्ध है। यहाँ पर उड़ता के स्थान पर चलता या दौड़ता लिखें तो वाक्य शुद्ध हो जाएगा।
वाक्य लिखते या बोलते समय निम्नलिखित बातों पर निश्चित रूप से ध्यान देना चाहिए-
(a). पद प्रकृति-विरुद्ध नहीं हो : -हर एक पद की अपनी प्रकृति (स्वभाव/धर्म) होती है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. यदि कोई कहे मैं आग खाता हूँ।
उदाहरण : 2. हाथी ने दौड़ में घोड़े को पछाड़ दिया।
उक्त वाक्यों में पदों की प्रकृतिगत योग्यता की कमी है। आग खायी नहीं जाती। हाथी घोड़े से तेज नहीं दौड़ सकता।
इसी जगह पर यदि कहा जाय:-
उदाहरण : 1. मैं आम खाता हूँ।
उदाहरण : 2. घोड़े ने दौड़ में हाथी को पछाड़ दिया।
तो दोनों वाक्यों में योग्यता आ जाती है।
(b). बात-समाज, इतिहास, भूगोल, विज्ञान आदि विरुद्ध न हो :- वाक्य की बातें समाज, इतिहास, भूगोल, विज्ञान आदि सम्मत होनी चाहिए; ऐसा नहीं कि जो बात हम कह रहे हैं, वह इतिहास आदि विरुद्ध है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. महाभारत 25 दिन तक चला।
उदाहरण : 2. दानवीर कर्ण द्वारका के राजा थे।
उदाहरण : 3. ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के परमाणु परस्पर मिलकर कार्बनडाई ऑक्साइड बनाते हैं।
उदाहरण : 4. भारत के उत्तर में श्रीलंका है।
(3). आकांक्षा
आकांक्षा का अर्थ है- इच्छा। एक पद को सुनने के बाद दूसरे पद को जानने की इच्छा ही ‘आकांक्षा’ है। यदि वाक्य में आकांक्षा शेष रह जाती है तो उसे अधूरा वाक्य माना जाता है; क्योंकि उससे अर्थ पूर्ण रूप से अभिव्यक्त नहीं हो पाता है।
उदाहरण जैसे :-
यदि कहा जाय ‘खाता है’ तो बात स्पष्ट नहीं हो पा रही है कि क्या कहा जा रहा है- किसी के भोजन करने की बात कही जा रही है या बैंक के खाते के बारे में ?
(4). निकटता
बोलते तथा लिखते समय वाक्य के शब्दों में परस्पर निकटता का होना बहुत आवश्यक है, रूक-रूक कर बोले या लिखे गए शब्द वाक्य नहीं बनाते। अतः वाक्य के पद निरंतर प्रवाह में पास-पास बोले या लिखे जाने चाहिए।
उदाहरण जैसे :-
गंगा.................... पश्चिम
से ........................................ पूरब
की ओर बहती है।
गंगा पश्चिम से पूरब की ओर बहती है।
घेरे के अन्दर पदों के बीच की दूरी और समयान्तराल असमान होने के कारण वे अर्थ-ग्रहण खो देते हैं; जबकि नीचे उन्हीं पदों को समान दूरी और प्रवाह में रखने के कारण वे पूर्ण अर्थ दे रहे हैं। अतएव, वाक्य को स्वाभाविक एवं आवश्यक बलाघात आदि के साथ बोलना पूर्ण अर्थ की अभिव्यक्ति के लिए आवश्यक है।
(5). क्रम
क्रम से तात्पर्य है- पदक्रम। सार्थक शब्दों को भाषा के नियमों के अनुरूप क्रम में रखना चाहिए। वाक्य में शब्दों के अनुकूल क्रम के अभाव में अर्थ का अनर्थ हो जाता है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. नाव में नदी है।
इस वाक्य में सभी शब्द सार्थक हैं, फिर भी क्रम के अभाव में वाक्य गलत है। सही क्रम करने पर नदी में नाव है वाक्य बन जाता है, जो शुद्ध है।
(6). अन्वय
अन्वय का अर्थ है कि पदों में व्याकरण की दृष्टि से लिंग, पुरुष, वचन, कारक आदि का सामंजस्य होना चाहिए। अन्वय के अभाव में भी वाक्य अशुद्ध हो जाता है। अतः अन्वय भी वाक्य का महत्त्वपूर्ण तत्त्व है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. नेताजी का लड़का का हाथ में बन्दूक था।
इस वाक्य में भाव तो स्पष्ट है लेकिन व्याकरणिक सामंजस्य नहीं है। अतः यह वाक्य अशुद्ध है। यदि इसे नेताजी के लड़के के हाथ में बन्दूक थी, कहें तो वाक्य व्याकरणिक दृष्टि से शुद्ध होगा।
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