Vakya ke Bhed | वाक्यों के भेद

हिन्दी व्याकरण : वाक्यों के भेद | Vakya ke Bhed



वाक्य के भेद

वाक्य के निम्नलिखित दो भेद होते हैं।

  • 1. रचना के आधार पर वाक्य के भेद
  • 2. अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद
  • 3. क्रिया के आधार पर वाक्य के भेद

1. रचना के आधार पर वाक्य के भेद

  • (i). साधरण वाक्य या सरल वाक्य | Simple Sentence
  • (ii). संयुक्त वाक्य | Compound Sentence
  • (iii). मिश्रित वाक्य | Complex Sentence

(i). साधरण वाक्य या सरल वाक्य | Simple Sentence

सरल वाक्य :– जिस वाक्य में एक उद्देश्य और एक विधेय होता है, उसे सरल वाक्य कहते हैं ।
जिन वाक्य में एक ही क्रिया होती है, और एक कर्ता होता है, वे साधारण वाक्य कहलाते है।
जिन वाक्यों में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उन्हें साधारण वाक्य या सरल वाक्य कहते हैं।
इसमें एक 'उद्देश्य' और एक 'विधेय' रहते हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. पिता जी अखबार पढ़ रहे हैं।
उदाहरण : 2. अंशु पढ़ रही है।
उदाहरण : 3. बिजली चमकती है
उदाहरण : 4. पानी बरसा

इन वाक्यों में एक-एक उद्देश्य, अर्थात कर्ता और विधेय, अर्थात क्रिया है। अतः, ये साधारण या सरल वाक्य हैं।

(ii). संयुक्त वाक्य | Compound Sentence

जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य मिले हों, परन्तु सभी वाक्य प्रधान हो तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते है।
जब दो या दो अधिक उपवाक्य समुच्यबोधक अव्यय से जुड़े हुए हो उसे संयुक्त वाक्य कहते है।
जिन वाक्यों में दो-या दो से अधिक सरल वाक्य समुच्चयबोधक अव्ययों से जुड़े हों, उन्हें संयुक्त वाक्य कहते है
सरल शब्दों में- जिस वाक्य में साधारण अथवा मिश्र वाक्यों का मेल संयोजक अवयवों द्वारा होता है, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं।
दूसरे शब्दो में- जिन वाक्यों में दो या दो से अधिक सरल वाक्य योजकों (और, एवं, तथा, या, अथवा, इसलिए, अतः, फिर भी, तो, नहीं तो, किन्तु, परन्तु, लेकिन, पर आदि) से जुड़े हों, उन्हें संयुक्त वाक्य कहते है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. प्रिय बोलो पर असत्य नहीं।
उदाहरण : 2. उसने बहुत परिश्रम किया किन्तु सफलता नहीं मिली।
उदाहरण : 3. वह सुबह गया और शाम को लौट आया।
उदाहरण : 4. लता खा रही है और ममता पढ़ रही है।
उदाहरण : 5. मैं जा रहा हूँ और तुम आ रहे हो।

संयुक्त वाक्य में निम्नलिखित बातें का होना आवश्यक है।

  • संयुक्त वाक्य मैं सरल वाक्य का स्वतंत्र प्रयोग हो सकता है।
  • दोनों वाक्य में आपस में आश्रित ना हो कर एक दूसरे के पूरक होते है।
  • संयुक्त वाक्य में वाक्यों की रचना एक सामान होनी चाहिए , अलग - अलग संरचना से संयुक्त वाक्य नहीं बनता।

संयुक्त वाक्य उस वाक्य-समूह को कहते हैं, जिसमें दो या दो से अधिक सरल वाक्य अथवा मिश्र वाक्य अव्ययों द्वारा संयुक्त हों। इस प्रकार के वाक्य लम्बे और आपस में उलझे होते हैं। जैसे- 'मैं रोटी खाकर लेटा कि पेट में दर्द होने लगा, और दर्द इतना बढ़ा कि तुरन्त डॉक्टर को बुलाना पड़ा।' इस लम्बे वाक्य में संयोजक 'और' है, जिसके द्वारा दो मिश्र वाक्यों को मिलाकर संयुक्त वाक्य बनाया गया।

इसी प्रकार 'मैं आया और वह गया' इस वाक्य में दो सरल वाक्यों को जोड़नेवाला संयोजक 'और' है। यहाँ यह याद रखने की बात है कि संयुक्त वाक्यों में प्रत्येक वाक्य अपनी स्वतन्त्र सत्ता बनाये रखता है, वह एक-दूसरे पर आश्रित नहीं होता, केवल संयोजक अव्यय उन स्वतन्त्र वाक्यों को मिलाते हैं। इन मुख्य और स्वतन्त्र वाक्यों को व्याकरण में 'समानाधिकरण' उपवाक्य भी कहते हैं।

संयुक्त वाक्य के प्रभेद

संयुक्त वाक्य के निम्नलिखित प्रभेद होते है।
1. संयोजक संयुक्त वाक्य
2. विभाजक संयुक्त वाक्य
3. विरोधसूचक संयुक्त वाक्य
4. परिमाणवाचक संयुक्त वाक्य

1. संयोजक संयुक्त वाक्य

जब वाक्यों को "तथा ", "और", "एवं" आदि समुच्यबोधक द्वारा जोड़ा जाता है तो उसे संयोजक संयुक्त वाक्य कहते है। उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. वो पास हो गई एवं तुम फैल हो गए।
उदाहरण : 2. लता शिक्षिका है और उसका पति डॉक्टर।

2. विभाजक संयुक्त वाक्य

जिन दो वाक्यों के बीच विकल्प सूचक समुच्यबोधक शब्द का प्रयोग होता है उसे विभाजक संयुक्त वाक्य कहते है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. वर्षा नहीं होती तो मैं आ जाता।
उदाहरण : 2. तुम देखते जाओ मैं बताता रहूँगा।

3. विरोधसूचक संयुक्त वाक्य

जो वाक्य समुच्य सूचक से बना होता है और विरोध की स्थिति प्रकट करता है विरोधसूचक वाक्य कहते है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. वो पास हो जाता परन्तु मेहनत ही नहीं किया।

4. परिमाणवाचक संयुक्त वाक्य

जब संयुक्त वाक्य कार्य -कारण - भाव से समुच्यबोधक द्वारा जुड़े हो परिमाण वाची संयुक्त वाक्य कहते है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. ऑफिस को बंद करना है , अतः कार्य को जल्दी सम्पन्न करे।

(iii). मिश्रित वाक्य | Complex Sentence

जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों किन्तु एक प्रधान उपवाक्य तथा शेष आश्रित उपवाक्य हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है।
सरल शब्दों में: - जिस वाक्य में मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक या अधिक समापिका क्रियाएँ हों, उसे 'मिश्रित वाक्य' कहते हैं।
जब दो ऐसे वाक्य मिलें जिनमें एक मुख्य उपवाक्य (Principal Clause) तथा एक गौण अथवा आश्रित उपवाक्य (Subordinate Clause) हो, तब मिश्र वाक्य बनता है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. मेरी कलम मिल गई जो खो गई थी।
उदाहरण : 2. रामु ने कहा था कि वो मेरा घर आएगा।
उदाहरण : 3. मैं जानता हूँ कि तुम्हारे अक्षर अच्छे नहीं बनते है।
उदाहरण : 4. मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारत जीतेगा।
उदाहरण : 5. ज्यों ही उसने दवा पी, वह सो गया।
उदाहरण : 6. सफल वही होता है जो परिश्रम करता है।
उदाहरण : 7. ये वही लड़का है , जिसने मेरी घड़ी चुराई थी।
उदाहरण : 8. यदि परिश्रम करोगे तो, उत्तीर्ण हो जाओगे।
उदाहरण : 9. राजेश को पुरुष्कार मिला क्योंकि वह कक्षा में प्रथम आया था।

2. अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद

  • (i). विधानवाचक या कथनात्मक | Assertive Sentence
  • (ii). निषेधवाचक या नकारात्मक | Negative Semtence
  • (iii) इच्छावाचक | IIIative Sentence
  • (iv). प्रश्नवाचक | Interrogative Sentence
  • (v). आज्ञावाचक या विधिवाचक | Imperative Sentence
  • (vi). संकेतवाचक | Conditional Sentence
  • (vii). विस्मयसूचक या विस्मयादिबोधक | Exclamatory Sentence
  • (viii). संदेहवाचक | Sentence indicating Doubt

(i). विधानवाचक या कथनात्मक | Assertive Sentence

जिन वाक्यों में क्रिया के करने या होने की सूचना मिले, उन्हें विधान वाचक वाक्य करते हैं।
जिस वाक्य में किसी काम या बात का होना पाया जाता है वह विधान वाचक वाक्य का लाता है।
वह वाक्य जिससे किसी प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है, वह विधानवाचक वाक्य कहलाता है।
ऐसा सामान्य वाक्य जो किसी व्यक्ति या वस्तु के स्थिति या अवस्था का बोध कराता हो कथनात्मक या विधानवाचक वाक्य कहते है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. वर्षा हो रही है।
उदाहरण : 2. राम पढ रहा है।
उदाहरण : 3. जैसे- मैंने दूध पिया।
उदाहरण : 4. मैं खाता हूं
उदाहरण : 5. राम के पिता का नाम दशरथ था।
उदाहरण : 6. लता एक सेविका है।
उदाहरण : 7. दशरथ अयोध्या के राजा थे।
उदाहरण : 8. मदन एक चिकित्सक है।
उदाहरण : 9. भारत एक देश है।
उदाहरण : 10. मैं कल कोलकाता जाऊँगा।

(ii). निषेधवाचक या नकारात्मक | Negative Semtence

ऐसे वाक्य जिसमे "ना " होने का बोध हो या जिस वाक्य में कथन का निषेध किया जाता हो उसे नकारत्मक या निषेधात्मक वाक्य कहते है।
वे वाक्य जो में किसी काम के न होने या न करने का बोध हो उन्हें निषेधात्मक वाक्य कहते है।
जिन वाक्यों से कार्य ना होने का भाव प्रकट होता है, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं।
जिस वाक्य में किसी बात के ना होने या काम के अभाव या नहीं होने का बोध हो वह निषेधात्मक वाक्य कहलाता है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. मैं आज घर जाऊॅंगा।
उदाहरण : 2. वह कल नहीं आएगा।
उदाहरण : 3. आज वर्षा नही होगी।
उदाहरण : 4. तुम खेलने मत जाओ।
उदाहरण : 5. मैंने खाना नहीं खाया।
उदाहरण : 6. तुम क्यों नहीं पढ़ते हो।
उदाहरण : 7. वहां मत जाओ।
उदाहरण : 8. लता बाजार नहीं जाएगी।
उदाहरण : 9. राधा कुछ न कर सकी।
उदाहरण : 10. मैंने दूध नहीं पिया।

(iii) इच्छावाचक | IIIative Sentence

जिन वाक्य‌ों में किसी इच्छा, आकांक्षा या आशीर्वाद का बोध होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं।
इस वाक्य में किसी आशीर्वाद इच्छा या कामना का बोध हो उसे इच्छा वाचक वाक्य कहते हैं।
जिन वाक्यों से इच्छा, आशीष एवं शुभकामना आदि का बोध हो, उन्हें इच्छा वाचक वाक्य कहते हैं।
जिन वाक्यों में किसी प्रकार की इच्छा, आशीर्वाद, आकांक्षा आदि व्यक्त की जाती हैं, इच्छावाचक वाक्य कहलाते हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. आज तो मैं केवल फल खाऊँगा।
उदाहरण : 2. तुम्हारा नव वर्ष मंगलमय हो।
उदाहरण : 3. तुम्हारा कल्याण हो।
उदाहरण : 4. भगवान तुम्हें लंबी उमर दे।
उदाहरण : 5. नववर्ष मंगलमय हो।
उदाहरण : 6. भगवान करे , इसबार में ज़रूर पास कर जाऊँ।
उदाहरण : 7. मैं आपकी सफलता की शुभेच्छा करता हूँ।
उदाहरण : 8. इस्वर सबका भला करें।
उदाहरण : 9. ईश्वर करे तुम खुश रहो।
उदाहरण : 10. आज मैं जमकर खाऊंगा।

(iv). प्रश्नवाचक | Interrogative Sentence

जिस वाक्य में प्रश्न का बोध हो या किसी से प्रश्न पूछे जाते हो उसे प्रश्न वाचक वाक्य कहते है। प्रश्नवाचक वाक्य को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूप में लिखा जा सकता है।
जिसे वाक्य का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए किया जाए, उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं ।
वे वाक्य जिनमें प्रश्न पूछने का भाव प्रकट हो, प्रश्नवाचक वाक्य कहलाते है।
वह वाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार प्रश्न किया जाता है, वह प्रश्नवाचक वाक्य कहलाता है।
जिन वाक्यों से किसी प्रकार का प्रश्न पूछने का बोध होता है, उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं।
प्रश्न का बोध कराने वाला वाक्य अर्थात जिस वाक्य का प्रयोग प्रश्न पूछने में किया जाए उसे प्रश्नार्थक या प्रश्नवाचक वाक्य करते हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. तुम कहाँ रहते हो ?
उदाहरण : 2. वो कब आएगा ?
उदाहरण : 3. राम ने रावण को क्यों मारा?
उदाहरण : 4. आप कहाँ रहते हैं?
उदाहरण : 5. लता का भाई क्या करता है ?
उदाहरण : 6. तुम क्या पढ़ रहे हो?
उदाहरण : 7. क्या तुम आज नहीं जाओगे ?
उदाहरण : 8. भारत क्या है?
उदाहरण : 9. तुम्हारा क्या नाम है ?
उदाहरण : 10. श्रीराम के पिता कौन थे?

(v). आज्ञावाचक या विधिवाचक | Imperative Sentence

जिन वाक्यों के माध्यम से किसी प्रकार की आज्ञा ली या दी जाती हैं, या किसी प्रकार की प्रार्थना, विनती, या अनुमति का भाव प्रकट होता हैं, तो वे वाक्य आज्ञावाचक वाक्य कहलाते हैं।
जिस वाक्य से आज्ञा तथा उपदेश को बोध होता है, वह आज्ञावाचक वाक्य कहलाता है।
जिस वाक्य में आज्ञा , निर्देश , प्रार्थना , या विनय आदि के भाव का पता चलता हो उसे आज्ञार्थक या विधिवाचक वाक्य कहते है।
जिन वाक्यों से आज्ञा प्रार्थना, उपदेश आदि का ज्ञान होता है, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते है।
वह वाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार की आज्ञा दी जाती है या प्रार्थना किया जाता है, वह विधिसूचक वाक्य कहलाता हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. कृपया बैठ जाइये।
उदाहरण : 2. वर्षा होने पर ही फसल होगी।
उदाहरण : 3. कृपया अंदर आइये।
उदाहरण : 4. हमारे घर पधार कर हमें अनुगृहीत करें।
उदाहरण : 5. इस कुर्सी पर बैठो
उदाहरण : 6. क्या हम आपसे कुछ पूछ सकते हैं।
उदाहरण : 7. एक गिलास पानी लाओ
उदाहरण : 8. सुन्दर लेख बनायें।
उदाहरण : 9. शांत रहो।
उदाहरण : 10. खड़े हो जाओ

(vi). संकेतवाचक | Conditional Sentence

जिस वाक्य में संकेत या शर्त हो, उसे संकेतवाचक वाक्य कहते हैं।
जिस वाक्य में किसी पर संकेत किया जाता हो या किसी कार्य को होने के लिए शर्त रखा जाता हो उसे संकेत वाचक या शर्त वाची वाक्य भी कहते है।
जिन वाक्यों से शर्त्त (संकेत) का बोध होता है यानी एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते है
जिन वाक्यों में किसी संकेत का बोध होता है, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं।
जिन वाक्यों में एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं।
जिन वाक्यों से हमें किसी प्रकार के संकेत का बोध होता हैं ,वे वाक्य संकेतवाचक वाक्य कहलाते हैं।
जिस वाक्य में किसी काम के पूरा होने में संदेह है या संभावना का भाव प्रकट हो ,उसे संदेह वाचक वाक्य कहते हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. मैं वहां दोस्तों के साथ खेल रहा हूँ ।
उदाहरण : 2. शायद वह कल आएंगे।
उदाहरण : 3. ये सारी सब्जियां उस तरफ एक टोकरी में रख दो।
उदाहरण : 4. आज अगर भैया होते तो सब ठीक होता।
उदाहरण : 5. हमारा घर यहाँ विद्यालय के पास में ही हैं।
उदाहरण : 6. सोनु उधर रहता है।
उदाहरण : 7. यदि परिश्रम करोगे तो अवश्य सफल होंगे।
उदाहरण : 8. अगर वर्षा होगी तो फसल भी ठीक होगा।
उदाहरण : 9. सोनु उधर रहता है।
उदाहरण : 10. राम का मकान उधर है।

(vii).विस्मयसूचक या विस्मयादिबोधक
Exclamatory Sentence

जिन वाक्यों में आश्चर्य, शोक, घृणा आदि का भाव ज्ञात हो उन्हें विस्मयादिबोधक वाक्य कहते है।
जिस वाक्य के द्वारा शोक, हर्ष, आश्चर्य आदि के भाव प्रकट होते हैं, वह विस्मयादिवाचक वाक्य कहलाता है।
वह वाक्य जिससे किसी प्रकार की गहरी अनुभूति का प्रदर्शन किया जाता है, वह विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाता हैं।
जिन वाक्यों से आश्चर्य, घृणा, क्रोध, शोक आदि का भाव प्रकट हो, उन्हें विस्मयवाचक वाक्य कहते हैं। इसे ‘!’ चिह्न के साथ लिखा जाता है।
जिन वाक्यों से किसी भी मनुष्य के भीतर हर्ष, उल्लास, क्रोध, आश्चर्य जैसे आकस्मिक भाव उत्पन्न होते हैं, वे वाक्य विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाते हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. शाबाश! तुमने कर दिखाया |
उदाहरण : 2. अरे! यह क्या हो गया।
उदाहरण : 3. अरे ! आप कब आये।
उदाहरण : 4. अहा! कितना सुन्दर उपवन है।
उदाहरण : 5. शाबाश ! बहुत अच्छा खेलें।
उदाहरण : 6. वाह! कितना सुंदर दृश्य है।
उदाहरण : 7. ओह! कितनी ठंडी रात है।
उदाहरण : 8. ओह ! कितनी गहरी चोट लगी हैं।
उदाहरण : 9. बल्ले! हम जीत गये।
उदाहरण : 10. हुर्रे ! हम जीत गए।

(viii). संदेहवाचक | Sentence indicating Doubt

जिस वाक्य में किसी कार्य के होने के बारे में संदेह प्रकट किया जाता है, उसे संदेहवाचक वाक्य कहते हैं।
जिस वाक्य में किसी के संदेह या सम्भावना का बोध कराता हो उसे संदेह वाचक वाक्य कहते है।
जिन वाक्य‌ों में संदेह का बोध होता है, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं।
जिन वाक्यों से संदेह या संभावना व्यक्त होती है, उन्हें संदेह वाचक वाक्य कहते हैं।
जिस वाक्य में किसी काम के पूरा होने में संदेह है या संभावना का भाव प्रकट हो ,उसे संदेह वाचक वाक्य कहते हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. शायद वह कल आएंगे।
उदाहरण : 2. शायद दरवाजे पर कोई हैं।
उदाहरण : 3. जैसे आज वर्षा होगी हो सकती है।
उदाहरण : 4. क्या हम पहले भी कहीं मिल चुके हैं।
उदाहरण : 5. मुझे कुछ आवाज सुनायी दी।
उदाहरण : 6. क्या उसने काम कर लिया ?
उदाहरण : 7. क्या वह यहाँ आ गया ?
उदाहरण : 8. अब तक वह आ चुका होगा।
उदाहरण : 9. कहीं आज बारिश ना होने लगें।
उदाहरण : 10. हो सकता है कि वह आज स्कूल आए |

3. क्रिया के आधार पर वाक्य के प्रकार

क्रिया के आधार पर वाक्य के तीन प्रकार होते हैं।

  • (i). कर्तृ वाच्य
  • (ii). कर्मवाच्य
  • (iii). भाव वाच्य

(i). कर्तृ वाच्य

जब वाक्य में क्रिया का संबंध सीधा कर्ता से होता है व क्रिया के लिंग, वचन ,कर्ता कारक के अनुसार प्रयोग होते हैं उसे कर्तृ वाच्य कहते हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. राम गाना गा रहा है।
उदाहरण : 2. सीता गाना गा रही है।

(ii). कर्मवाच्य

जब वाक्य में क्रिया का संबंध कर्म से होता है अर्थात क्रिया के लिंग वचन कर्ता के अनुसार ना होकर कर्म के अनुसार होते हैं , उसे कर्मवाच्य या कर्म वाक्य कहा जाता है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. अयन के द्वारा दूध पिया गया।
उदाहरण : 2. या द्वारा खेल खेला गया।

(iii). भाव वाच्य

जब वाक्य में क्रिया कर्ता और कर्म के अनुसार ना होकर भाव के अनुसार होती है तो उसे भाव वाचक वाक्य कहते हैं। उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. अक्षिता से पढ़ा नहीं जाता।
उदाहरण : 2. शगुन से पढ़ा नहीं जाता।





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