कारक | CASE
वाक्य में प्रयुक्त वह शब्द जिससे पूरी घटना या उद्देश्य की पूर्ति हो , उसे कारक कहते हैं।
वाक्य में प्रयोग होने वाले किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द का क्रिया से साथ सम्बन्ध को कारक (Karak) कहते हैं
कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, संबन्ध, अधिकरण, संबोधन।
किसी भी वाक्य के सभी शब्दों को इन्हीं 8 कारकों में वर्गीकृत किया जा सकता है। उदाहरण- राम ने अमरूद खाया। यहाँ 'राम' कर्ता है, 'खाना' कर्म है।
दो वस्तुओं के मध्य संबन्ध बताने वाले शब्द को संबन्धकारक कहते हैं। उदाहरण -"यह मोहन की पुस्तक है।" यहाँ "की" शब्द "मोहन" और "पुस्तक" में संबन्ध बताता है इसलिए यह संबन्धकारक है।
उदाहरण जैसे :-
राम ने रावण को "बाण" से मारा – बाण कारक है।
मैं "कलम से " लिख रहा हूं – कलम कारक है।
पेड़ से " फल " गिरते हैं – फल कारक है।
सीता "भूख" लगने पर रोती है – भूख कारक है।
वह "गांव" चला गया – गांव कारक है।
अर्जुन ने "जयद्रथ को " मार डाला – जयद्रथ को कारक है।
कारक की परिभाषा
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से सीधा संबंध क्रिया के साथ ज्ञात हो वह कारक कहलाता है।
कारक के विभक्ति चिह्न या परसर्ग
कारक विभक्ति - संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के बाद ‘ने, को, से, के लिए’, आदि जो चिह्न लगते हैं वे चिह्न कारक 'विभक्ति' कहलाते हैं। अथवा - व्याकरण में शब्द (संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण) के आगे लगा हुआ वह प्रत्यय या चिह्न विभक्ति कहलाता है जिससे पता लगता है कि उस शब्द का क्रियापद से क्या संबंध है।
कारक के उदाहरण :-
रोहन ने पत्र लिखा।
राम ने रावण को बाण मारा।
मोहन ने कुत्ते को डंडा मारा।
कारक के भेद
कारक 8 प्रकार के होते हैं कारक को विभक्ति से भी पहचाना जा सकता है :
क्रम | विभक्ति | कारक | चिन्ह (Karak Chinh) |
1 | प्रथम | कर्ता | ने |
2 | द्वितीय | कर्म | को |
3 | तृतीय | करण | से (के द्वारा) |
4 | चतुर्थी | सम्प्रदान | के लिए |
5 | पंचमी | अपादान | से (अलग होने के लिए) |
6 | षष्टी | सम्बन्ध | का, की, के, रे |
7 | सप्तमी | अधिकरण | में, पर |
8 | अष्टमी | संबोधन | हे, अरे |
कारक चिन्ह प्रयोग / विभक्ति | |||
---|---|---|---|
1. | कर्ता कारक | Nominative Case | ने | राम ने रावण को मारा , लड़की स्कूल जाती है। |
2. | कर्म कारक | Objective Case | को | लड़की ने सांप को मारा , मोहन ने पत्र लिखा। |
3. | करण कारक | Instrumental Case | से , के , साथ,द्वारा | अर्जुन ने जयद्रथ को बाण से मारा , बालक गेंद से खेल रहे हैं। |
4. | संप्रदान कारक | Dative Case | को,के लिए | गुरुजी को फल दो। |
5. | अपादान कारक | Ablative Case | से (अलग होना) | बच्चा छत से गिर पड़ा , संगीता घोड़े से गिर पड़ी। |
6. | संबंध कारक | Relative Case | का, की, के; ना, नी, ने; रा, री, रे | वह मोहन का बेटा है , यह कमला की गाय है। |
7. | अधिकरण कारक | Locative Case | में , पर | भंवरा फूलों पर मंडरा रहा है। |
8. | संबोधन कारक | Vocative Case | हे!, हरे!, अरे!, अजी! | अरे भैया कहां जा रहे हो , हे राम ! ( संबोधन ) |
कारक के महत्वपूर्ण पहचान | ||
---|---|---|
1. | कर्ता | क्रिया को संम्पन करने वाला। |
2. | कर्म | क्रिया से प्रभावित होने वाला। |
3. | करण | क्रिया का साधन या उपकरण। |
4. | सम्प्रदान | जिसके लिए कोई क्रिया संम्पन की जाय। |
5. | अपादान | जहाँ अलगाव हो वहां ध्रुव या स्थिर में अपादान होता है। |
6. | संबंध | जहाँ दो पदों का पारस्परिक सम्बन्ध बताया जाए। |
7. | अधिकरण | जो क्रिया के आधार ( स्थान , समय , अवसर ) का बोध करवाय। |
8. | सम्बोधन | किसी को पुकार का सम्बोधन किया जाये। |
1. कर्ता कारक
जिस रूप से क्रिया (कार्य) के करने वाले का बोध होता है वह कर्ता कारक कहलाता है। इसका विभक्ति-चिह्न ‘ने’ है। इस ‘ने’ चिह्न का वर्तमानकाल और भविष्यकाल में प्रयोग नहीं होता है।
इसका सकर्मक धातुओं के साथ भूतकाल में प्रयोग होता है। जो वाक्य में कार्य करता है उसे कर्ता कहा जाता है। अथार्त वाक्य के जिस रूप से क्रिया को करने वाले का पता चले उसे कर्ता कहते हैं।
कर्ता कारक की विभक्ति ने होती है। ने विभक्ति का प्रयोग भूतकाल की क्रिया में किया जाता है। कर्ता स्वतंत्र होता है। कर्ता कारक में ने विभक्ति का लोप भी होता है। इस पद को संज्ञा या सर्वनाम माना जाता है।
हम प्रश्नवाचक शब्दों के प्रयोग से भी कर्ता का पता लगा सकते हैं। संस्कृत का कर्ता ही हिंदी का कर्ताकारक होता है। कर्ता की ने विभक्ति का प्रयोग ज्यादातर पश्चिमी हिंदी में होता है। ने का प्रयोग केवल हिंदी और उर्दू में ही होता है।
उदहारण जैसे :-
लड़की स्कूल जाती है।
राम ने रावण को मारा।
पहले वाक्य में वर्तमानकाल की क्रिया का कर्ता लड़की है। इसमें ‘ने’ विभक्ति का प्रयोग नहीं हुआ है।दूसरे वाक्य में क्रिया का कर्ता राम है। इसमें ‘ने’ कर्ता कारक का विभक्ति-चिह्न है। इस वाक्य में ‘मारा’ भूतकाल की क्रिया है। ‘ने’ का प्रयोग प्रायः भूतकाल में होता है।
- वर्तमानकाल व भविष्यतकाल की सकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ ने परसर्ग का प्रयोग नहीं होता है। जैसे- वह फल खाता है।, वह फल खाएगा।
- भूतकाल में अकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ भी ने परसर्ग (विभक्ति चिह्न) नहीं लगता है। जैसे-वह हँसा।
- कभी-कभी कर्ता के साथ ‘को’ तथा ‘स’ का प्रयोग भी किया जाता है। जैसे- बालक को सो जाना चाहिए।, सीता से पुस्तक पढ़ी गई।, रोगी से चला भी नहीं जाता।, उससे शब्द लिखा नहीं गया।
कर्ता कारक का प्रयोग
(1). परसर्ग रहित
(2). परसर्ग सहित
परसर्ग रहित
- भूतकाल की अकर्मक क्रिया में परसर्ग का प्रयोग नहीं किया जाता है। जैसे :- राम गिरा।
- वर्तमान और भविष्यकाल में परसर्ग नहीं लगता। जैसे :- बालक लिखता है।
- जिन वाक्यों में लगना , जाना , सकना , चूकना आदि आते हैं वहाँ पर ने का प्रयोग नहीं किया जाता हैं। जैसे :- उसे पटना जाना है।
परसर्ग सहित
- भूतकाल की सकर्मक क्रिया में कर्ता के साथ ने परसर्ग लगाया जाता है। जैसे :- राम ने पुस्तक पढ़ी।
- प्रेरणार्थक क्रियाओं के साथ ने का प्रयोग किया जाता हैं। जैसे :- मैंने उसे पढ़ाया।
- जब संयुक्त क्रिया के दोनों खण्ड सकर्मक होते हैं तो कर्ता के आगे ने का प्रयोग किया जाता है। जैसे :- श्याम ने उत्तर कह दिया।
कर्ता कारक में को का प्रयोग
विधि क्रिया और संभाव्य बहुत में कर्ता प्राय: को के साथ आता है। जैसे:- रोहन को जाना चाहिए।
2. कर्म कारक
क्रिया के कार्य का फल जिस पर पड़ता है, वह कर्म कारक कहलाता है। इसका विभक्ति-चिह्न ‘को’ है। यह चिह्न भी बहुत-से स्थानों पर नहीं लगता। सुलाना , बुलाना , कोसना , जमाना , पुकारना , भगाना आदि क्रियाओं के प्रयोग में अगर कर्म संज्ञा हो तो को विभक्ति जरुर लगती है। जब विशेषण का प्रयोग संज्ञा की तरह किया जाता है तब कर्म विभक्ति को जरुर लगती है। कर्म संज्ञा का एक रूप होता है।
उदहारण जैसे :-
उदाहरण 1. लड़की ने पत्र लिखा।
उदाहरण 2. मोहन ने साँप को मारा।
पहले वाक्य में ‘लिखने’ की क्रिया का फल पत्र पर पड़ा। अतः पत्र कर्म कारक है। इसमें कर्म कारक का विभक्ति चिह्न ‘को’ नहीं लगा।दूसरे वाक्य में ‘मारने’ की क्रिया का फल साँप पर पड़ा है। अतः साँप कर्म कारक है। इसके साथ परसर्ग ‘को’ लगा है।
कर्म कारक के अन्य उदाहरण:
उदाहरण 1. बड़ों को सम्मान दो।
उदाहरण 2. माँ बच्चे को सुला रही है।
उदाहरण 3. उसने पत्र लिखा।
उदाहरण 4. ममता सितार बजा रही है।
उदाहरण 5. राम ने रावण को मारा।
उदाहरण 6. गोपाल ने राधा को बुलाया।
उदाहरण 7. अध्यापक छात्र को पीटता है।
उदाहरण 8. सीता फल खाती है।
उदाहरण 9. द्वारा यह काम हुआ।
उदाहरण 10. कृष्ण ने कंस को मारा।
उदाहरण 11. राम को बुलाओ।
3. करण कारक
संज्ञा आदि शब्दों के जिस रूप से क्रिया के करने के साधन का बोध हो अर्थात् जिसकी सहायता से कार्य संपन्न हो वह करण कारक कहलाता है। इसके विभक्ति-चिह्न ‘से’ के ‘द्वारा’ है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण 1. बालक गेंद से खेल रहे है।
उदाहरण 2. अर्जुन ने जयद्रथ को बाण से मारा।
पहले वाक्य में कर्ता बालक खेलने का कार्य ‘गेंद से’ कर रहे हैं। अतः ‘गेंद से’ करण कारक है।दूसरे वाक्य में कर्ता अर्जुन ने मारने का कार्य ‘बाण’ से किया। अतः ‘बाण से’ करण कारक है।
4. संप्रदान कारक
संप्रदान का अर्थ है-देना। अर्थात कर्ता जिसके लिए कुछ कार्य करता है, अथवा जिसे कुछ देता है उसे व्यक्त करने वाले रूप को संप्रदान कारक कहते हैं। लेने वाले को संप्रदान कारक कहते हैं। इसके विभक्ति चिह्न ‘के लिए’ को हैं। इसको किसके लिए' प्रश्नवाचक शब्द लगाकर भी पहचाना जा सकता है। समान्य रूप से जिसे कुछ दिया जाता है या जिसके लिए कोई कार्य किया जाता है उसे सम्प्रदान कारक कहते हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण 1. गुरुजी को फल दो।
उदाहरण 2. स्वास्थ्य के लिए सूर्य को नमस्कार करो।
इन दो वाक्यों में ‘स्वास्थ्य के लिए’ और ‘गुरुजी को’ संप्रदान कारक हैं।
संप्रदान कारक के अन्य उदाहरण:
भूखों को अन्न देना चाहिए।
उदाहरण 1. मोहन ब्राह्मण को दान देता है।
उदाहरण 2. मेरे लिए दूध लेकर आओ।
उदाहरण 3. माँ बेटे के लिए सेब लायी।
उदाहरण 4. अमन ने श्याम को गाड़ी दी।
उदाहरण 5. मैं सूरज के लिए चाय बना रहा हूँ।
उदाहरण 6. मैं बाजार को जा रहा हूँ।
उदाहरण 7. गरीबों को खाना दो।
उदाहरण 8. वे मेरे लिए उपहार लाये हैं।
उदाहरण 9. सोहन रमेश को पुस्तक देता है।
उदाहरण 10. भूखे के लिए रोटी लाओ।
5. अपादान कारक
संज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी से अलग होना पाया जाए वह अपादान कारक कहलाता है। इसका विभक्ति-चिह्न ‘से’ है। इसकी पहचान किससे जैसे' प्रश्नवाचक शब्द से भी की जा सकती है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण 1. संगीता घोड़े से गिर पड़ी।
उदाहरण 2. बच्चा छत से गिर पड़ा।
इन दोनों वाक्यों में घोड़े ‘से’ और ‘छत से’ गिरने में अलग होना प्रकट होता है। अतः छत से और घोड़े से अपादान कारक हैं।
6. संबंध कारक
शब्द के जिस रूप से किसी एक वस्तु का दूसरी वस्तु से संबंध प्रकट हो वह संबंध कारक कहलाता है। इसका विभक्ति चिह्न ‘का’, 'की’, ‘के’, ‘रा’, ‘रे’, ‘री’ है। इसकी विभक्तियाँ संज्ञा , लिंग , वचन के अनुसार बदल जाती हैं।
उदाहरण जैसे-
उदाहरण 1. यह कमला की गाय है।
उदाहरण 2. यह राधेश्याम का बेटा है।
इन दोनों वाक्यों में ‘कमला का’ गाय से और ‘राधेश्याम का बेटे’ से संबंध प्रकट हो रहा है। अतः यहाँ संबंध कारक है।
जहाँ एक संज्ञा या सर्वनाम का सम्बन्ध दूसरी संज्ञा या सर्वनाम से सूचित होता है, वहाँ सम्बन्ध कारक होता है। इसके विभक्ति चिह्न का, की, के; रा, रे; री, ना, नी, ने हैं।
उदाहरण जैसे :-
मेरा लड़का, मेरी लड़की, हमारे बच्चे।
राम का लड़का, श्याम की लड़की, गीता के बच्चे।
अपना लड़का, अपना लड़की, अपने लड़के।
7. अधिकरण कारक
शब्द के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है उसे अधिकरण कारक कहते हैं। इसके विभक्ति-चिह्न ‘में’, ‘पर’ हैं। भीतर , अंदर , ऊपर , बीच आदि शब्दों का प्रयोग इस कारक में किया जाता है। इसकी पहचान किसमें , किसपर , किस पे आदि प्रश्नवाचक शब्द लगाकर भी की जा सकती है। कहीं कहीं पर विभक्तियों का लोप होता है तो उनकी जगह पर किनारे , आसरे , दीनों , यहाँ , वहाँ , समय आदि पदों का प्रयोग किया जाता है। कभी कभी में के अर्थ में पर और पर के अर्थ में में लगा दिया जाता है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण 1. कमरे में टी.वी. रखा है।
उदाहरण 2. वरा फूलों पर मँडरा रहा है।
इन दोनों वाक्यों में ‘कमरे में’ और ‘फूलों पर’ अधिकरण कारक है।
अधिकरण कारक के अन्य उदाहरण
उदाहरण 1. फ्रिज में सेब रखा है।
उदाहरण 2. कमरे के अंदर क्या है।
उदाहरण 3. कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध हुआ था।
उदाहरण 4. तुम्हारे घर पर चार आदमी है।
उदाहरण 5. उस कमरे में चार चोर हैं।
उदाहरण 6. कुर्सी आँगन के बीच बिछा दो।
उदाहरण 7. महल में दीपक जल रहा है।
उदाहरण 8. हरी घर में है।
उदाहरण 9. पुस्तक मेज पर है।
उदाहरण 10. पानी में मछली रहती है।
उदाहरण 11. शक्ति बहुत कम है।
उदाहरण 12. ने पुस्तक मेज पर रखी।
उदाहरण 13. वह सुबह गंगा किनारे जाता है।
8. संबोधन कारक
जिससे किसी को बुलाने अथवा सचेत करने का भाव प्रकट हो उसे संबोधन कारक कहते है और संबोधन चिह्न (!) लगाया जाता है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण 1. हे गोपाल ! यहाँ आओ।
उदाहरण 2. अरे भैया ! क्यों रो रहे हो ?
इन वाक्यों में ‘हे गोपाल’ और ‘अरे भैया’ ! संबोधन कारक है।
कर्म कारक और सम्प्रदान कारक में अंतर
इन दोनों कारक में को विभक्ति का प्रयोग होता है। कर्म कारक में क्रिया के व्यापार का फल कर्म पर पड़ता है और सम्प्रदान कारक में देने के भाव में या उपकार के भाव में को का प्रयोग होता है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण 1. मोहन ने साँप को मारा।
उदाहरण 2. राजू ने रोगी को दवाई दी।
उदाहरण 3. विकास ने सोहन को आम खिलाया।
उदाहरण 4. स्वास्थ्य के लिए सूर्य को नमस्कार करो।
करण कारक और अपादान कारक में अंतर
करण और अपादान दोनों ही कारकों में से चिन्ह का प्रयोग होता है। परन्तु अर्थ के आधार पर दोनों में अंतर होता है। करण कारक में जहाँ पर से का प्रयोग साधन के लिए होता है वहीं पर अपादान कारक में अलग होने के लिए किया जाता है। कर्ता कार्य करने के लिए जिस साधन का प्रयोग करता है उसे करण कारक कहते हैं। लेकिन अपादान में अलगाव या दूर जाने का भाव निहित होता है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण 1. जेब से सिक्का गिरा।
उदाहरण 2. मैं कलम से लिखता हूँ।
उदाहरण 3. बालक गेंद से खेल रहे हैं।
उदाहरण 4. गंगा हिमालय से निकलती है।
उदाहरण 5. सुनीता घोड़े से गिर पड़ी।
विभक्तियों की प्रयोगिक विशेषताएं
विभक्तियाँ स्वतंत्र होती हैं और इनका अस्तित्व भी स्वतंत्र होता है। क्योंकि एक काम शब्दों का संबंध दिखाना है इस वजह से इनका अर्थ नहीं होता।
उदाहरण जैसे :- ने , से आदि।
हिंदी की विभक्तियाँ विशेष रूप से सर्वनामों के साथ प्रयोग होकर विकार उत्पन्न करती हैं और उनसे मिल जाती हैं।
हमारा , मेरा , उसे , उन्हें आदि।
विभक्तियों को संज्ञा या सर्वनाम के साथ प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण जैसे :- मोहन के घर से यह चीज आई है।
विभक्तियों का प्रयोग
हिंदी व्याकरण में विभक्तियों के प्रयोग की विधि निश्चित होती हैं।
विभक्तियाँ दो तरह की होती हैं –
1. विश्लिष्ट
2. संश्लिष्ट
1. विश्लिष्ट
जो विभक्तियाँ संज्ञाओं के साथ आती हैं उन्हें विश्लिष्ट विभक्ति कहते हैं। जैसे :- के लिए में दो विभक्तियाँ होती हैं इसमें पहला शब्द संश्लिष्ट होता है और दूसरा शब्द विश्लिष्ट होता है।
2. संश्लिष्ट
जो विभक्तियाँ सर्वनामों के साथ मिलकर बनी होती है उसे संश्लिष्ट विभक्ति कहते हैं।जैसे :- के लिए में दो विभक्तियाँ होती हैं इसमें पहला शब्द संश्लिष्ट होता है और दूसरा शब्द विश्लिष्ट होता है।
कारक के उदहारण
वाक्य | कारक नाम |
बिल्ली छत से कूदी | अपादान कारक |
लडके दरवाजे-दरवाजे घूम रहे हैं | अधिकरण कारक |
नेता द्वार-द्वार जा रहे हैं | अधिकरण कारक |
वह कुल्हाड़ी से पेड़ कटता है | करण कारक |
मैंने उसे पढ़ाया | कर्ता कारक |
नदियों का जल स्वच्छ है | सम्बन्ध कारक |
गाड़ी में ईधन डालो | अधिकरण कारक |
डाकू दुकान का सारा माल ले गए | अपादान कारक |
राम ने खाना खाया | कर्ता कारक |
राम सीता के लिए लंका गए | सम्प्रदान कारक |
राम ने रावन को मार दिया | कर्म कारक |
राम ने धनुष द्वारा रावण को मारा | करण कारक |
रावण का सर जमीं पर गिर पड़ा | अपादान कारक |
राम की जय-जयकार होने लगी | सम्बन्ध कारक |
हे राम! हमें बचाओ | संबोधन कारक |
माँ ने बच्चों को मिठाई दी | सम्प्रदान कारक |
वह चाकू से मरता है | करण कारक |
माता ने बच्चों को सुलाया | कर्म कारक |
माता ने मुझको पैसे दिए | सम्प्रदान कारक |
श्याम ने मोहन को साईकिल दी | सम्प्रदान कारक |
गंगा हिमालय से निकलती है | अपादान कारक |
वह नदी से पानी ला रहा है | अपादान कारक |
उसने गीत गाया | कर्म कारक |
तुम्हारे घर में दस लोग हैं | अधिकरण कारक |
मेरी बहन | सम्बन्ध कारक |
प्रेमचंद का उपन्यास | सम्बन्ध कारक |
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सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता को सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित विषयों का अभ्यास करें
- हिंदी सीखें
- हिन्दी व्याकरण सीखें
- Alphabets | हिंदी वर्णमाला
- Consonants | व्यंजन
- Vowels | स्वर
- Noun | संज्ञा
- Pronoun | सर्वनाम
- Verb | क्रिया
- Adjective | विशेषण
- Gender | लिंग
- Sandhi Vichchhed | संधि विच्छेद
- Compound word | समास
- Resting Point | विराम चिन्ह
- Homonyms | समरूपी भिन्नार्थक शब्द
- One Word Substitution
- Proverb | लोकोक्तियाँ
- Suffix | प्रत्यय
- Idioms | मुहावरे
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