प्रत्यय | Suffix
वे शब्द जो किसी शब्द के अन्त में जोड़े जाते हैं, उन्हें प्रत्यय (प्रति + अय = बाद में आने वाला) कहते हैं। जैसे- गाड़ी + वान = गाड़ीवान, अपना + पन = अपनापन
प्रत्यय दो शब्दो के मिलने से बना है। प्रति+अय ‘प्रति’ का अर्थ होता है, साथ में, पर बाद में और ‘अय’ का अर्थ होता है ‘चलने वाला’ अथार्त प्रत्यय का अर्थ होता है शब्दों के साथ में चलनेवाला या लगनेवाला शब्द। जो शब्दों के अंत में लगकर शब्द के अर्थ में विशेषता या बदलाव लाता है, उसे प्रत्यय कहते हैं।
उदाहरण जैसे :-
(पर्वत)+ईय= पर्वतीय, -
प्रतिभा (बुद्धि)+वान = प्रतिभावान, -
कीमत (मूल्य)+ ती=कीमती आदि।-
प्रत्यय की परिभाषा | Definition
जो शब्दांश, शब्दों के अंत में जुड़कर अर्थ में परिवर्तन लाये, प्रत्यय कहलाते है।
जो शब्दांश, किसी शब्द के अन्त में जुड़कर नए शब्द निर्मित करते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं ।
जो शब्दांश किसी शब्द के बाद लगकर उसके अर्थ को बदल देते हैं और नए अर्थ का बोध कराते हैं उसे प्रत्यय कहते हैं।
भाषा में प्रत्यय का महत्त्व इसलिए भी है क्योंकि उसके प्रयोग से मूल शब्द के अनेक अर्थों को प्राप्त किया जा सकता है। यौगिक शब्द बनाने में प्रत्यय का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
यौगिक शब्द बनाने में प्रत्यय | |
---|---|
क्रम | शब्द + प्रत्यय |
1. | खिल + आङी = खिलाङी |
2. | मिल + आवट = मिलावट |
3. | पढ़ + आकू = पढ़ाकू |
4. | झूल + आ = झूला |
प्रत्यय तीन प्रकार
- 1. विदेशी प्रत्यय
- 2. हिंदी प्रत्यय
- 3. संस्कृत प्रत्यय
विदेशी प्रत्यय
विदेशी प्रत्यय =‘गर’ प्रत्यय | |
---|---|
क्रम | शब्द + प्रत्यय |
1. | जादू + गर = जादूगर |
2. | बाज़ी + गर = बाज़ीगर |
विदेशी प्रत्यय=‘इश’ प्रत्यय | |
---|---|
क्रम | शब्द + प्रत्यय |
1. | फ़रमा + इश = फ़रमाइश |
2. | पैदा + इश = पैदाइश |
विदेशी प्रत्यय=‘दान’ प्रत्यय | |
---|---|
क्रम | शब्द + प्रत्यय |
1. | रोशन + दान = रोशनदान |
2. | इत्र + दान = इत्रदान |
विदेशी प्रत्यय=(स्थान) ‘गाह’ प्रत्यय | |
---|---|
क्रम | शब्द + प्रत्यय |
1. | बंदर + गाह = बंदरगाह |
2. | दर + गाह = दरगाह |
विदेशी प्रत्यय=‘गीर’ प्रत्यय | |
---|---|
क्रम | शब्द + प्रत्यय |
1. | राह + गीर = राहगीर |
2. | उठाई + गीर = उठाईगीर |
हिंदी प्रत्यय
संज्ञा की रचना करने वाले कृत प्रत्यय :
हिंदी प्रत्यय=‘न’ प्रत्यय | |
---|---|
क्रम | शब्द + प्रत्यय |
1. | बेल + न = बेलन |
2. | चंद + न = चंदन |
हिंदी प्रत्यय=‘‘आ’ प्रत्यय | |
---|---|
क्रम | शब्द + प्रत्यय |
1. | मेल + आ = मेला |
2. | झूल + आ = झूला |
संस्कृत प्रत्यय
अ = आइ, ई,
ए = ऐ
उ, ऊ,
ओ = औ
ऋ = आर्
‘इक’प्रत्यय
‘इक’प्रत्यय लगने पर शब्द के प्रारंभिक स्वर में इस प्रकार परिवर्तन होते है -
उदाहरण जैसे :-
संस्कृत प्रत्यय=‘इक’प्रत्यय' | |
---|---|
क्रम | शब्द + प्रत्यय |
1. | व्यवहार + इक = व्यावहारिक |
2. | मनस् + इक = मानसिक |
3. | नीति + इक = नैतिक |
4. | समूह + इक = सामूहिक |
4. | भूगोल + इक = भौगोलिक |
‘एय’ प्रत्यय
शब्द के अन्तिम वर्ण के स्वर को हटाकर उसमें ‘एय’प्रत्यय जोड़ दिया जाता है | तथा ‘इक’प्रत्यय की तरह शब्द के प्रथम स्वर में परिवर्तन कर देता है | उदाहरण जैसे :-संस्कृत प्रत्यय=‘एय’ प्रत्यय | |
---|---|
क्रम | शब्द + प्रत्यय |
1. | अग्नि + एय = आग्नेय |
2. | गंगा + एय = गांगेय (भीष्म) |
3. | राधा + एय = राधेय (कर्ण) |
संस्कृत प्रत्यय=‘ईय’ प्रत्यय | |
---|---|
क्रम | शब्द + प्रत्यय |
1. | भारत + ईय = भारतीय |
2. | मानव + ईय = मानवीय |
अन्य उदाहरण जैसे : -
1. इत – हर्षित, गर्वित, लज्जित, पल्लवित
2. इक – मानसिक, धार्मिक, मार्मिक, पारिश्रमिक
3. ईय – भारतीय, मानवीय, राष्ट्रीय, स्थानीय
4. एय – आग्नेय, पाथेय, राधेय, कौंतेय
5. तम – अधिकतम, महानतम, वरिष्ठतम, श्रेष्ठतम
6. वान् – धनवान, बलवान, गुणवान, दयावान
7. मान् – श्रीमान्, शोभायमान, शक्तिमान, बुद्धिमान
8. त्व – गुरुत्व, लघुत्व, बंधुत्व, नेतृत्व
9. शाली – वैभवशाली, गौरवशाली, प्रभावशाली, शक्तिशाली
10. तर – श्रेष्ठतर, उच्चतर, निम्नतर, लघूत्तर
विशेषण की रचना करने वाले कृत प्रत्यय
विशेषण की रचना करने वाले कृत प्रत्यय=‘आलु’ प्रत्यय | |
---|---|
क्रम | शब्द + प्रत्यय |
1. | दया + आलु = दयालु |
2. | श्रद्धा + आलु = श्रद्धालु |
विशेषण की रचना करने वाले कृत प्रत्यय=‘ऊ’ प्रत्यय | |
---|---|
क्रम | शब्द + प्रत्यय |
1. | चाल + ऊ = चालू |
2. | डाक + ऊ = डाकू |
हिंदी के प्रत्यय के भेद
हिंदी के प्रत्यय के दो भेद हैं:
- कृत प्रत्यय | Primary Suffixes
- तद्धित प्रत्यय | Nominal suffixes
कृत प्रत्यय
क्रिया के मूल धातु से जुड़कर संज्ञा या विशेषण बनाने वाले प्रत्यय को कृत प्रत्यय कहते हैं।
वे प्रत्यय जो धातु (क्रिया) में जोड़े जाते हैं, कृत प्रत्यय कहलाते हैं।
कृत् प्रत्यय से बने शब्द कृदंत (कृत्+अंत) शब्द कहलाते हैं।
उदाहरण जैसे :-
पढ़ +आई = पढ़ाई ‘पढ़’ में ‘आई’ लगाने से शब्द बना ‘पढ़ाई’,
लूट+एरा= लुटेरा ‘लूट’ शब्द में ‘एरा’ लगाने से लुटेरा शब्द बना आदि।
हिन्दी के कृत प्रत्यय | |
---|---|
प्रत्यय | प्रत्यय युक्त शब्द |
आवट | गिरावट, तरावट, बनावट, बुनावट |
आहट | घबराहट, सुगबुगाहट, मुस्कुराहट |
आक | तैराक, चालाक |
अक्कड़ | भुलक्कड़, घुमक्कड़, बुझक्कड़ |
अन | मनन, चिंतन, पूजन |
आ | सोचा, देखा, चला, लिखा, पढ़ा |
ई | हँसी, भभकी, घुड़की |
औती | फिरौती, बपौती, कटौती, मनौती |
आऊ | बिकाऊ, चलाऊ, खाऊ, टिकाऊ |
एरा | लुटेरा, बसेरा, बखेरा |
कृत् प्रत्यय के भेद
- 1. कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय
- 2. कर्म वाचक कृत् प्रत्यय
- 3. करण वाचक कृत् प्रत्यय
- 4. भाव वाचक कृत् प्रत्यय
- 5. क्रिया वाचक कृत् प्रत्यय
1. कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय
कृत् वाचक: - कर्ता का बोध कराने वाले प्रत्यय कृत् वाचक प्रत्यय कहलाते है।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. हार : - पालनहार, चाखनहार, राखनहार
उदाहरण : 2. वाला : - रखवाला, लिखनेवाला, पढ़नेवाला
उदाहरण : 3. क : - रक्षक, भक्षक, पोषक, शोषक
उदाहरण : 4. अक : - लेखक, गायक, पाठक, नायक
उदाहरण : 5. ता : - दाता, माता, गाता, नाता
2. कर्म वाचक कृत् प्रत्यय
कर्म वाचक कृत् प्रत्यय :- कर्म का बोध कराने वाले कृत् प्रत्यय कर्म वाचक कृत् प्रत्यय कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में - जिस प्रत्यय से बनने वाले शब्दों से किसी कर्म का पता चले उसे, कर्मवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. औना = बिछौना, खिलौना
उदाहरण : 2. ना = सूँघना, पढना, खाना
उदाहरण : 3. नी = सुँघनी, छलनी
उदाहरण : 4. गा = गाना।
3. करणवाचक कृत् प्रत्यय
करण यानी साधन का बोध कराने वाले प्रत्यय करणवाचक कृत् प्रत्यय कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में - जिस प्रत्यय की वजह से बने शब्द से क्रिया के करण का बोध होता है, उसे करणवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. आ = भटका, भूला, झूला
उदाहरण : 2. ऊ = झाड़ू
उदाहरण : 3. ई = रेती, फांसी, भारी, धुलाई
उदाहरण : 4. न = बेलन, झाडन, बंधन
4. भाव वाचक कृत् प्रत्यय
क्रिया के व्यापार या भाव का बोध कराने वाले प्रत्यय भाववाचक कृत् प्रत्यय कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में - भाववाचक कृत प्रत्यय वे होते हैं, जो क्रिया से भाववाचक संज्ञा का निर्माण करते हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. अन = लेखन, पठन, गमन, मनन, मिलन
उदाहरण : 2. ति = गति, रति, मति
उदाहरण : 3. अ = जय, लेख, विचार, मार, लूट, तोल
उदाहरण : 4. आवा = भुलावा, छलावा, दिखावा, बुलावा, चढावा
5. क्रिया वाचक कृत् प्रत्यय
जिन कृत् प्रत्ययों के योग से क्रियामूलक विशेषण, रखनेवाली क्रिया का निर्माण होता है, उन्हें क्रियाद्योतक कृत् प्रत्यय कहते हैं।
दूसरे शब्दों में - जिस प्रत्यय के कारण बने शब्दों से क्रिया के होने का भाव पता चले, उसे क्रिया वाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. ता = डूबता, बहता, चलता
उदाहरण : 2. या = खोया, बोया
उदाहरण : 3. आ = सुखा, भूला, बैठा
उदाहरण : 4. ना = दौड़ना, सोना
उदाहरण : 5. कर = जाकर, देखकर
तद्धित प्रत्यय
क्रिया को धातुओं के अलावा संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि शब्दों के साथ जुड़कर नए शब्द बनाने वाले प्रत्यय तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। इसमें भी दो प्रत्यय होते हैं।
संज्ञा सर्वनाम और विशेषण के अन्त में लगने वाले प्रत्यय को 'तद्धित' कहा जाता है और उनके मेल से बने शब्द को 'तद्धितान्त'।
दूसरे शब्दों में - धातुओं को छोड़कर अन्य शब्दों में लगनेवाले प्रत्ययों को तद्धित कहते हैं।
जब संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण के अंत में प्रत्यय लगते हैं, उन शब्दों को तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. महँगा+ आई =महंगाई
उदाहरण : 2. जोश +ईला =जोशीला,
उदाहरण : 3. कथा+कार=कथाकार
उदाहरण : 4. मानव + ता = मानवता
उदाहरण : 5. अपना + पन = अपनत्व
उदाहरण : 6. अपना + पन = अपनापन
उदाहरण : 7. एक + ता = एकता
उदाहरण : 8. अच्छा + आई = अच्छाई
उदाहरण : 9. ड़का + पन = लडकपन
उदाहरण : 10. मम + ता = ममता
कृत-प्रत्यय क्रिया या धातु के अन्त में लगता है, जबकि तद्धित प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के अन्त में। तद्धित और कृत-प्रत्यय में यही अन्तर है। उपसर्ग की तरह तद्धित-प्रत्यय भी तीन स्रोतों- संस्कृत, हिंदी और उर्दू से आकर हिन्दी शब्दों की रचना में सहायक हुए है।
हिन्दी के तद्धित प्रत्यय | |
---|---|
प्रत्यय | प्रत्यय युक्त शब्द |
आरी | भिखारी, पुजारी |
आ | भूखा, प्यासा, घना, ठंडा |
आऊ | उपजाऊ, बिकाऊ, दिखाऊ |
आनी | देवरानी, मेहतरानी, नौकरानी |
इक | पारिवारिक, श्रमिक, दैनिक, वैवाहिक |
ईला | रंगीला, जहरीला, शरमीला |
ईन | नमकीन, रंगीन, शौकीन |
कार | पत्रकार, चित्रकार, शिल्पकार |
तया | मुख्यतया, साधारणतया |
वाला | गाड़ीवाला, फलवाला |
पन | पागलपन, अपनापन, बचपन |
हारा | लकड़हारा, सर्वहारा |
आई | बुराई, लंबाई, महँगाई |
आना | घराना, शरमाना, जुर्माना |
आर | लुहार, कुम्हा, सुनार |
आहट | गरमाहट, चिकनाहट |
हार | सृजनहार, होनहार |
वान | धनवान, बलवान, गुणवान |
दार | फलदार, जमींदार, पहरेदार |
गर | बाजीगर, कारीगर, जादूगर |
क | पाठक, धावक, लेखक |
एरा | लुटेरा, चचेरा, फुफेरा, ममेरा |
इत | रचित, लिखित, कथित |
तद्धित प्रत्यय के भेद
हिंदी में तद्धित-प्रत्यय के आठ प्रकार हैं : -
- (1) कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
- (2) भाववाचक तद्धित प्रत्यय
- (3) संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय
- (4) गणनावाचक तद्धित प्रत्यय
- (5) गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
- (6) स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय
- (7) ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय
- (8) सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय
(1) कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
जिन प्रत्यय को जोड़ने से कार्य को करने वाले का बोध हो, उसे कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं अथार्त जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण के साथ मिलकर करने वाले का या कर्तृवाचक शब्द को बनाते हैं, उसे कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
वे प्रत्यय जो धातु को छोड़कर अन्य शब्दों (संज्ञा व सर्वनाम विशेषण) में जुड़ते हैं, तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।तद्धित प्रत्यय से बने शब्द तद्धितांत शब्द कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में - कर्ता का बोध कराने वाले प्रत्यय कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
संज्ञा के अन्त में आर, इया, ई, एरा, हारा, इत्यादि तद्धित-प्रत्यय लगाकर कर्तृवाचक तद्धितान्त संज्ञाएँ बनायी जाती हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. पालन + हार = पालनहार
उदाहरण : 2. चित्र + कार = चित्रकार
उदाहरण : 3. जुआ + आरी = जुआरी
उदाहरण : 4. पान + वाला = पानवाला
(2) भाववाचक तद्धित प्रत्यय
भाव का बोध कराने वाले तद्धित प्रत्यय भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
संज्ञा के अन्त में आ, आयँध, आई, आन, आयत, आरा, आवट, आस, आहट, ई, एरा, औती, त, ती, पन, पा, स इत्यादि तद्धित-प्रत्यय लगाकर भाववाचक तद्धितान्त संज्ञाएँ बनायी जाती हैं।
इस प्रत्यय में भाव प्रकट होता है। इसमें प्रत्यय लगने की वजह से कहीं-कहीं पर आदि स्वर की वृद्धि हो जाया करती है। जो प्रत्यय संज्ञा तथा विशेषण के साथ जुडकर भाववाचक संज्ञा को बनाते हैं, उसे भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
दूसरे शब्दों में - भाव का बोध कराने वाले प्रत्यय भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।प्रत्यय लगाकर भाववाचक तद्धितान्त संज्ञाएँ बनायी जाती हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. बुलाव + आ = बुलावा
उदाहरण : 2. ऊँचा + आई = ऊँचाई
उदाहरण : 3. चौड़ा + आन = चौडान
उदाहरण : 4. अपना + आयत = अपनायत
उदाहरण : 5. छूट + आरा = छुटकारा
(3) संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय
संबंध का बोध कराने वाले प्रत्यय संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
जिन प्रत्ययों के लगने से संबंध का पता लगता है, उसे संबंध वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं। इसमें कभी-कभी आदि स्वर की वृद्धि हो जाती है।
सरल शब्दों में - संबंध का बोध कराने वाले प्रत्यय संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
संज्ञा के अन्त में आल, हाल, ए, एरा, एल, औती, जा इत्यादि तद्धित-प्रत्यय लगाकर सम्बन्धवाचक तद्धितान्त संज्ञाएँ बनायी जाती हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. नाना + हाल = ननिहाल
उदाहरण : 2. ससुर + आल = ससुराल
उदाहरण : 3. चाचा + ऐरा = चचेरा
उदाहरण : 4. बहन + जा = भानजा
(4) गणनावाचक तद्धित प्रत्यय
जिन प्रत्ययों को जोड़ने से शब्दों में संख्या का पता चले उसे गणना वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
सरल शब्दों में - संख्या का बोध कराने वाले प्रत्यय गणनावाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते है।
संज्ञा-पदों के अंत में ला, रा, था, वाँ, हरा अ, आ, इक, ई, ऊ, हा, हर, हरा, एडी, इत, इम, इय, इष्ठ, एय, म, मान्, र, ल, वान्, वी, श, इमा, इल, इन, लु, वाँ प्रत्यय जोड़कर गुणवाचक तद्धितांत शब्द बनते हैं। इनसे संज्ञा का गुण प्रकट होता है-
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. पह + ला = पहला
उदाहरण : 2. दुस + रा = दूसरा
उदाहरण : 3. सात + वाँ = सातवाँ
उदाहरण : 4. चौ + था = चौथा
(5) गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
जिन प्रत्ययों के प्रयोग से पदार्थ के गुणों का बोध होता है, उसे गुणवाचक प्रत्यय कहते हैं। इस प्रत्यय से संज्ञा शब्द गुणवाची हो जाता है।
सरल शब्दों में - गुण का बोध कराने वाले प्रत्यय गुणवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
संज्ञा के अन्त में आ, इत, ई, ईय, ईला, वान इन प्रत्ययों को लगाकर गुणवाचक संज्ञाएँ बनायी जाती हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. सज + ईला = सजीला
उदाहरण : 2. गुण + वान = गुणवान
उदाहरण : 3. मीठ + आ = मीठा
उदाहरण : 4. इतिहास + इक = ऐतिहासिक
(6) स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय
जिन प्रत्ययों के प्रयोग से स्थान का पता चलता है, वहाँ पर स्थान वाचक तद्धित प्रत्यय होता है।
सरल शब्दों में - स्थान का बोध कराने वाले प्रत्यय स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
संज्ञा के अन्त में ई, वाला, इया, तिया इन प्रत्ययों को लगाकर स्थानवाचक संज्ञाएँ बनायी जाती हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. जर्मन + ई = जर्मनी
उदाहरण : 2. चाय + वाला = चायवाला
उदाहरण : 3. जयपुर + इया = जयपुरिया
उदाहरण : 4. कलक + तिया = कलकतिया
(7) ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय
जिन प्रत्यय शब्दों से लघुता, प्रियता, हीनता का पता चलता हो, उसे ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
दूसरे शब्दों में - ऊनवाचक संज्ञाएँ से वस्तु की लघुता, प्रियता, हीनता इत्यादि के भाव व्यक्त होता हैं।
संज्ञा के अन्त में आ, इया, ई, ओला, क, की, टा, टी, ड़ा, ड़ी, री, ली, वा, सा इन प्रत्ययों को लगाकर ऊनवाचक संज्ञाएँ बनायी जाती हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. ढोल + क = ढोलक
उदाहरण : 2. खाट + इया = खटिया
उदाहरण : 3. बच्चा + वा = बचवा
उदाहरण : 4. ठाकुर + आ = ठकुरा
(8) सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय
जिन प्रत्ययों को जोड़ने से बने हुए शब्दों से समानता का पता चले, उन्हें सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
दूसरे शब्दों में - समता/समानता का बोध कराने वाले प्रत्यय सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
संज्ञा के अन्त में सा हरा इत्यादि इन प्रत्ययों को लगाकर सादृश्यवाचक संज्ञाएँ बनायी जाती हैं।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. सुन + हरा = सुनहरा
उदाहरण : 2. पीला + सा = पीला सा
कृत प्रत्यय और तद्धित प्रत्यय में अंतर
कृत प्रत्यय- जो प्रत्यय धातु या क्रिया के अंत में जुड़कर नया शब्द बनाते हैं कृत प्रत्यय कहलाते हैं।
उदाहरण जैसे :-
लिखना, लिखाई, लिखावट।
तद्धित प्रत्यय- जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण में जुड़कर नया शब्द बनाते हैं तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
उदाहरण जैसे :-
नीति-नैतिक, काला-कालिमा, राष्ट्र-राष्ट्रीयता आदि।
उपसर्ग और प्रत्यय का एकसाथ प्रयोग :
कुछ ऐसे भी शब्द हैं, जिनकी रचना उपसर्ग तथा प्रत्यय दोनों के योग से होती है ।
उदाहरण जैसे :-
उदाहरण : 1. अभि (उपसर्ग) + मान + ई (प्रत्यय) = अभिमानी
उदाहरण : 2. अप (उपसर्ग) + मान + इत (प्रत्यय) = अपमानित
उदाहरण : 3. परि (उपसर्ग) + पूर्ण + ता (प्रत्यय) = परिपूर्णता
उदाहरण : 4. दुस् (उपसर्ग) + साहस + ई (प्रत्यय) = दुस्साहसी
उदाहरण : 5. बद् (उपसर्ग) + चलन + ई (प्रत्यय) = बदचलनी
उदाहरण : 6. निर् (उपसर्ग) + दया + ई (प्रत्यय) = निर्दयी
उदाहरण : 7. उप (उपसर्ग + कार + क (प्रत्यय) = उपकारक
उदाहरण : 8. सु (उपसर्ग) + लभ + ता (प्रत्यय) = सुलभता
उदाहरण : 9. अति (उपसर्ग) + शय + ता (प्रत्यय) = अतिशयता
उदाहरण : 10. नि (उपसर्ग) + युक्त + इ (प्रत्यय) = नियुक्ति
उदाहरण : 11. प्र (उपसर्ग) + लय + कारी (प्रत्यय) = प्रलयकार
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता को सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित विषयों का अभ्यास करें
- हिंदी सीखें
- हिन्दी व्याकरण सीखें
- Alphabets | हिंदी वर्णमाला
- Consonants | व्यंजन
- Vowels | स्वर
- Noun | संज्ञा
- Pronoun | सर्वनाम
- Verb | क्रिया
- Adjective | विशेषण
- Gender | लिंग
- Sandhi Vichchhed | संधि विच्छेद
- Compound word | समास
- Resting Point | विराम चिन्ह
- Homonyms | समरूपी भिन्नार्थक शब्द
- One Word Substitution
- Proverb | लोकोक्तियाँ
- Suffix | प्रत्यय
- Idioms | मुहावरे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें