Hindi Grammar

हिन्दी व्याकरण : Hindi Grammar

भाषा, बोली, लिपि और व्याकरण

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे दूसरे लोगों के संपर्क में रहना पड़ता है। भाषा के बिना न तो वह अपनी बात समाज के दूसरे लोगों तक पहुँचा सकता है और न ही उनकी बात स्वयं समझ सकता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि भाषा मन के भावों या विचारों को प्रकट करने और समझने में एक-दूसरे की मदद करती है। भाषा शब्द ‘भाष’ धातु से बना है। इसका अर्थ है- बोलना। मनुष्य जिन ध्वनियों को बोलकर अपनी बात कहता है, उसे भाषा कहते हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि- भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, लिखकर, पढ़कर व सुनकर अपने मन के विचारों तथा भावों का आदान-प्रदान करता है।

भाषा के रूप

भाषा का प्रयोग हम मुख्यतः बोलकर तथा लिखकर करते हैं। इस प्रकार प्रयोग के आधार पर भाषा के दो रूप होते हैं।
(i) मौखिक | Oral
(ii) लिखित | Written

(i) मौखिक भाषा :- मौखिक का अर्थ है- मुख से निकली हुई। जब हम बोलकर और सुनकर अपने विचार एक-दूसरे तक पहुँचाते है, तो यह भाषा का मौखिक रूप कहलाता है।
(ii) लिखित भाषा :- लिखित का अर्थ है- लिखा हुआ। जब मनुष्य अपने मन के भावों को लिखकर और पढ़कर व्यक्त करता है, तो वह भाषा का लिखित रूप होता।

भाषा का मूल रूप मौखिक होता है। इसे सीखना नहीं पड़ता।
मातृभाषा – भाषा का वह रूप जिसे बालक सबसे पहले अपने परिवार में रहकर सीखता है वह मातृभाषा कहलाती है।
हिंदी भाषा की राजभाषा के रूप में मान्यता तथा स्वीकृत भाषाएँ।

सितंबर 14,1949 को भारत सरकार ने हिंदी को राजाभाषा घोषित किया। भारतीय संविधान में 22 भाषाओं को मान्यता प्रदान की गई है। वे इस प्रकार हैं– हिंदी, गुजराती, असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, कन्नड़, कश्मीरी, नेपाली, कोंकणी, पंजाबी, उर्दू, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, उड़िया, संस्कृत, तमिल, तेलुगू, संथाली तथा सिंधी।

राजभाषा – राज + भाषा यानी काम-काज की भाषा। वह भाषा जिसका प्रयोग देश के कार्यालयों में काम – काज के लिए किया जाता है, राजभाषा कहलाती है।

लिपि | Script

बोली जाने वाली हर ध्वनि को लिखने के लिए कुछ चिह्ने निश्चित किए गए हैं। इन्हीं चिह्नों के लिखने के तरीके को लिपि कहते हैं।

क्रमलिपि भाषा
1 देवनागरी हिंदी, संस्कृत, मराठी
2गुरुमुखीपंजाबी
3तमिल तमिल
4रोमनअंग्रेजी, जर्मन


बोली

सीमित क्षेत्रों में बोली जाने वाली भाषा के रूप को बोली कहा जाता है यानी स्थानीय व्यवहार में, अल्पविकसित रूप में प्रयुक्त होने वाली भाषा बोली कहलाती है। बोली का कोई लिखित रूप नहीं होता।

हिंदी की बोलियाँ

हिंदी की बोलियों को छह वर्गों में विभाजित किया जा सकता है

  • पश्चिमी हिंदी : – ब्रज, खड़ी बोली, हरियाणवी (बांगरू) बुंदेली और कन्नौजी।
  • पूर्वी हिंदी : – अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी।
  • राजस्थानी : – मेवाती, मारवाड़ी, हाड़ोती, मेवाड़ी।
  • बिहारी : – मैथिली, मगधी, भोजपुरी।
  • पहाड़ी : – गढ़वाली, कुमाऊँगी, मैडियाली।
  • दक्खिनी : – बीजापुर, गोलकुंडा के क्षेत्र।

व्याकरण

जो शास्त्र हमें वर्णो, शब्दों और वाक्यों के शुद्ध प्रयोग की जानकारी देता है, वह व्याकरण कहलाता है।

व्याकरण के अंग

व्याकरण के चार अंग हैं
(i) वर्ण विचार
(ii) शब्द विचार
(iii) पद विचार
(iv) वाक्य विचार

  • (i). वर्ण विचार : – इसके अंतर्गत वर्णों के उच्चारण, वर्गीकरण, लेखन, संयोजन में चर्चा की जाती है।
  • (ii). शब्द विचार : – इसके अंतर्गत शब्दों के भेद व्युत्पत्ति और रचना आदि से संबंधित नियमों की जानकारी होती है।
  • (iii). पद विचार : – इसके अंतर्गत संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण अव्यय आदि पदों के स्वरूप तथा प्रयोग पर विचार किया जाता है।
  • (iv). वाक्य विचार : – व्याकरण के इस विभाग में वाक्यों के भेद, उसके संबंध, वाक्य विश्लेषण, विराम-चिह्नों आदि के बारे में विचार किया जाता है।

वर्ण

भाषा वह सबसे छोटी ध्वनि जिसके और टुकड़े नहीं किए जा सकते, वर्ण कहलाती है | जैसे: अ, क, ग, ब, आदि। हिन्दी भाषा में कुल 52 वर्ण हैं।

वर्णमाला

वर्णों के समूह को वर्णमाला कहा जाता है। हर भाषा की अपनी एक वर्णमाला होती है।
किसी भाषा में प्रयोग होने वाले वर्णों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते हैं |

वर्ण के भेद :

वर्ण तीन प्रकार के होते हैं:
1.स्वर
2. व्यंजन
3. अयोगवाह

टिप्पणी-(Note) : हिंदी वर्णमाला में ऐसे वरण जिनकी गणना न तो स्वर में और ना ही व्यंजनों में की जाती है उन्हें अयोगवाह कहते हैं।


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